सर्प, मगर और जहरीले जंतुओं की योनि में भी बैर को नहीं भुला पाना
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कुछ लोग किसी एक बात को पकड़ लेते हैं
और जीवन भर उसी में उलझे रहते हैं |
वह स्मृति आदमी को एक तरह से मनोरोगी बना देती है |
बैर का अनुबंध इसी तरह से होता है |
किसी से दुश्मनी हुई तो ऐसे कि
आदमी जीवन भर उसकी आंच में जलता रहता है और
अपने भावी जीवन को भी बिगाड़ लेता है |
बैर और प्रतिशोध के कारण सर्प, मगर और दुसरे जहरीले जंतुओं की योनि पाई,
लेकिन इस गति में भी वे अपने बैर को भुला नहीं सकते,
बदला लेने की ताक में रहते हैं |
- आचार्य श्री महाप्रज्ञजी
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कुछ लोग किसी एक बात को पकड़ लेते हैं
और जीवन भर उसी में उलझे रहते हैं |
वह स्मृति आदमी को एक तरह से मनोरोगी बना देती है |
बैर का अनुबंध इसी तरह से होता है |
किसी से दुश्मनी हुई तो ऐसे कि
आदमी जीवन भर उसकी आंच में जलता रहता है और
अपने भावी जीवन को भी बिगाड़ लेता है |
बैर और प्रतिशोध के कारण सर्प, मगर और दुसरे जहरीले जंतुओं की योनि पाई,
लेकिन इस गति में भी वे अपने बैर को भुला नहीं सकते,
बदला लेने की ताक में रहते हैं |
- आचार्य श्री महाप्रज्ञजी
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