Monday, April 30, 2012

गुरु कौन बन सकता है ?

गुरु बनने का अर्थ है पहले अपना स्वामी बनना,
उसके बाद दुसरे का नेतृत्व करना |
जिसमें बड़प्पन की भूख होती है,
जो केवल आदेश देना जानता है,
वह नाममात्र का गुरु हो सकता है |
गुरुत्व की गरिमा उसमें नहीं होती |
गुरु वह होता है,
जो पहले अपने पर अनुशासन करता है |
गुरु वह होता है,
जो प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास कर लेता है |
गुरु वह होता है,
जो आत्मविकास का धनी होता है |
गुरु वह होता है,
जो अन्धकार को भी आलोक बना देता है |
जो व्यक्ति गुरु बनने की महत्वाकांक्षा रखता है,
वह कभी गुरु नहीं बन सकता |
गुरु बनना है,
अपना स्वामी बनना है
तो अन्य सब महत्वाकांक्षाओं को छोड़कर
एक ही संकल्प,
एक ही अनुप्रेक्षा की जाए
कि
जीवन में गुरु की गरिमा का अवतरण कैसे हो सकता है |

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