Sunday, February 26, 2012

देवताओं की जिज्ञासा का समाधान कैसे होता है ?

सुर अनुत्तर विमाण नां सेवै रे, प्रश्न पूछ्यां उत्तर जिन देवै रे | २१/५ 
जैन आगमों में देवों सम्बन्धी विस्तृत जानकार प्राप्त है |
देवों की अनेक कोटियाँ हैं |
पांच अनुत्तर विमान के देव सबसे ऊंची कोटि के देव होते हैं |
ये देव उपशांत मोह होते हैं,
इसलिए इनके अशुभ कर्मों का बंधन कम होता है |
यहाँ उत्पन्न होने वाले देव सम्यगदृष्टि ही होते हैं |
मिथ्यादृष्टि कोई देव इन विमानों में पैदा नहीं हो सकता |
ये देव अपने विमानों से इधर-उधर कहीं नहीं जाते |
वहीँ रहते हैं |
जब कभी इनके मन में कोई जिज्ञासा पैदा होती है
तो ये अपने विमानों में ही तीर्थंकर भगवान् से प्रश्न करते है |
तीर्थंकर भले ही कितने भी दूरी पर क्यों न हो,
उनके मन की जिज्ञासा को जान लेते हैं
और
वहीँ से उसका उत्तर दे देते हैं |
उनका दिया गया उत्तर अनुत्तर विमान के ये देव अपने विमानों में बैठे-बैठे ही अवधि ज्ञान के माध्यम से समझ लेते हैं |

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