Tuesday, March 27, 2012

‎"सिद्धे शरणं पवज्जामि

‎"सिद्धे शरणं पवज्जामि " 
मैं सिद्ध की शरण में जाता हूं |
इसका तात्पर्य है कि 
मैं कच्चे से पक्का बनानेवाले की शरण में जाता हूं |
लेकिन ऐसा कहने मात्र से कुछ नहीं होगा |
उसके लिए अभ्यास करना होगा |
धर्म उत्कृष्ट मंगल है -
यह कहा जाता है |
धर्म जैसे उत्कृष्ट मंगल की प्राप्ति के लिए तदनुरूप प्रयास करना होगा |
विचारों और भावनाओं की आंच में पकाकर आचरण को भी उत्कृष्ट बनाना पड़ेगा,
तभी धर्म हमारे लिए मंगल हो पायेगा |
धार्मिक कहे जानेवाले लोग उसे पकाने का प्रयत्न नहीं कर रहे हैं |

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