Saturday, July 21, 2012

अपनी गालियाँ रखो ...अपने पास

अपनी गालियाँ रखो ...अपने पास
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भगवान् बुद्ध के पास एक आदमी आया 
और 
बड़ी देर तक अपशब्दों की बौछार करता रहा |
आखिर गालियाँ देते-देते थक गया |
दस गाली के बदले अगर एक गाली उत्तर में मिल जाए तो 
अगली बीस गालियों से स्वयं को लैस कर लेता है |
जोश दुगुना.....
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उस आदमी ने बुद्ध से कहा -
" क्या बात है ?
तुम्हारी जीभ गायब हो गयी क्या ?
जवाब क्यों नहीं देते ?"
बुद्ध ने कहा -
" मैंने तुम्हारे अपशब्द स्वीकार ही नहीं किये तो क्या जवाब दूं ?"
उस व्यक्ति ने कहा -
" स्वीकार न करने का मतलब ?"
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बुद्ध ने कहा -
" दूसरों को भेंट देने की प्रथा तुम्हारे यहां भी होगी |
अगर एक थाल मिठाई भर कोई तुम्हारे पास जाता है
और
तुम् स्वीकार नहीं करते तो वह थाल कहां जाएगा ?"
गाली देने वाले ने कहा -
" जाएगा कहाँ, वह तो उसी के पास रह जाएगा,
जो देने आया था |"
बुद्ध बोले -
" तुम्हारी गालियाँ भी तुम्हारे पास ही रह गई,
क्योंकि मैंने उसे स्वीकार नहीं किया |"

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